Umrao Jaan Ada
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Type: Poetry Book
Collections: Books, Poetry Books, Rekhta Books,
PRODUCT DETAILS
उन्नीसवीं सदी की मशहूर तवायफ़ उमराव जान ‘अदा’ लखनऊ और आस-पास के इलाक़ों की ख़ास महफ़िलों की रौनक़ हुआ करती थी। उसकी ख़ूबसूरती, शोख़ अदाओं, नाच-गाने और शायरी के मद्दाहों में उस ज़माने के ख़ानदानी रईस, जोशीले नवाबज़ादे और नामी ग़ुण्डे तक शामिल थे। लेकिन फ़ैज़ाबाद के एक जमादार की बेटी अमीरन के मशहूर तवायफ़ उमराव जान बनने की कहानी काफ़ी अफ़सोसनाक है और पढ़ने वाले इसे पढ़ते हुए जज़्बाती हो उठते हैं। इस कहानी को मिर्ज़ा हादी रुस्वा ने इस तरह से बयान किया है कि उमराव जान की ज़िन्दगी के सफ़र का हर मंज़र हमारी आँखों के सामने ज़िन्दा हो उठता है। इस किताब को पहली बार 1899 में छापा गया था और उसके बाद से इस कहानी को कई बार किताबों और फ़िल्मों की शक्ल में सामने लाया जा चुका है मगर लोगों में इसकी दिलचस्पी आज भी बरक़रार है।
About Author Hindi | मिर्ज़ा मुहम्मद हादी रुसवा (1857 - 21 अक्टूबर 1931) एक प्रसिद्ध उर्दू शायर और कथा, नाटकों और ग्रंथों (मुख्य रूप से धर्म, दर्शन और खगोल विज्ञान पर) के लेखक थे। उन्होंने कई वर्षों तक भाषा मामलों पर अवध के नवाब के सलाहकार बोर्ड में सेवा की। उन्हें उर्दू, ग्रीक और अंग्रेजी सहित कई भाषाओं पर इख़्तियार हासिल था। 1905 में प्रकाशित उनका प्रसिद्ध उर्दू उपन्यास, "उमराव जान अदा", कई लोगों द्वारा पहला उर्दू उपन्यास माना जाता है। यह उपन्यास लखनऊ की एक प्रसिद्ध तवायफ और शायरा उमराव जान के जीवन पर आधारित है। |